क्यों अनिष्टकारी हो जाती हैं घर के पूजा मंदिर की मूर्तियां

       हम रोज अपने घर के मंदिर में भगवान की पूजा करते हैं, आरती करते हैं, परिक्रमा करते हैं, देवी देवताओं की प्रतिमा खरीदते व लाते हैं और जाने कितनी मूर्ति, तस्वीरें और सामान पूजा के मंदिर में रख लेते हैं। पर क्या हमें पता है! कि हमारे घर का पूजा कक्ष किस तरह से और कैसा होना चाहिए? उसमें कितनी मूर्तियां किस दिशा में और कितनी संख्या में होनी चाहिए? चलिए जानते हैं-

घर का पूजा मंदिर कैसा हो-

  1- पूजा गृह में दो शिवलिंग, तीन गणेश , दो शंख, दो सूर्य प्रतिमा ,तीन देवी प्रतिमा, दो गोमती चक्र और दो शालिग्राम नहीं होना चाहिए या इनका पूजन नहीं करना चाहिए।

  2- पूजा स्थान पर रखी शिवलिंग की ऊंचाई 2 इंच से बड़ी नहीं होनी चाहिए।

  3- पूजा स्थान पर यदि हनुमान जी की मूर्ति है तो वह बैठी हुई हो और आशीर्वाद देती हुई हो तो अच्छा है।

   4- पूजा स्थल पर जो भी देव प्रतिमा या तस्वीर हो वे प्रसन्न चित्त और आशीर्वाद देती हुई मुद्रा में हो। रौद्र रूप वाले मूर्ति या चित्र लगाने से बचें इससे नकारात्मकता आती है।

  5- घर के मंदिर में शनिदेव, नटराज भगवान और भैरव जी की मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए।

  6- मंदिर में जो भी मूर्तियां या तस्वीर रखी जाए उनके बीच में आपस में कुछ दूरी अवश्य होनी चाहिए।

  7- किसी भी देवता की एक से अधिक तस्वीर ना रखें तो ठीक है।

  8- कोशिश करें कि पूजा मंदिर में कम से कम देवी देवताओं की तस्वीरें हैं।

  9- प्राचीन हिंदू शास्त्रों के अनुसार पंच देवों की प्रतिमा बताई गई हैं। जिनमें पहले हैं सूर्य देव, दूसरे हैं गणपति, तीसरे है भगवान विष्णु, चौथी है मां पार्वती‌ और पांचवें देव भगवान सदाशिव बताए गए हैं।

  10- घर में 9 इंच यानि के 22 सेंटीमीटर से छोटी देव प्रतिमा होनी चाहिए। इससे बड़ी प्रतिमा घर में शुभ नहीं होती हैं उसे मंदिर में रखना चाहिए।  

 11- मान्यता यह भी है कि घर के मंदिर में अंगूठे से बड़ी मूर्तियां ना हो। उससे बड़ी मूर्ति होने पर उसकी प्राण प्रतिष्ठा करानी चाहिए और उसके विशेष पूजा नियमों का पालन करना चाहिए।

 12- पूजा स्थल पर टूटी-फूटी, चिट्की मूर्ति या कटे फटे धुंधले चित्र भी नहीं होने चाहिए। मान्यता है कि ऐसा होने से घर में पारिवारिक क्लेह बढ़ती है और आर्थिक नुकसान होते हैं।

 13- परिक्रमा देवी की एक बार, सूर्य की सात बार, गणेश की तीन बार, विष्णु की चार बार तथा शिव की आधी परिक्रमा करनी चाहिए।  

 14- आरती करते समय भगवान विष्णु के समक्ष 12 बार, सूर्य के समक्ष 7 बार, दुर्गा के समक्ष नौ बार, शंकर के समक्ष 11 बार और गणेश के समक्ष 4 बार आरती घुमानी चाहिए।

 15- पूजा करते समय केवल भूमि पर ना बैठे आसन जरूर बिछावे। 

  16- पूजा घर में माचिस नहीं रखनी चाहिए यदि रखते हैं तो उसे कागज या कपड़े में छुपा कर रखें।

     घर के पूजा मंदिर में किस तरह की हों मूर्तियां-

वैसे तो भगवान भाव के भूखे हैं किंतु शास्त्रों के अनुसार निम्न प्रकार की मूर्तियों को हम पूजा स्थान पर रख सकते हैं-

 1- लकड़ी की मूर्ति 

 2- पत्थर की मूर्ति

 3- भाव मूर्ति - यदि आप बिना मूर्ति के ध्यान लगाने में सक्षम हैं तो यह सर्वोत्तम है क्योंकि भगवान भाव के भूखे हैं उन्हें किसी आकार में बाधा नहीं जा सकता‌। 

4- बालू या मिट्टी की मूर्ति

5- माणिक्य की मूर्ति 

6- चंदन या अन्य सुगंधित पवित्र लेपों से बनी हुई मूर्ति

      इसके अतिरिक्त प्राचीन काल से जो चलन है उसके अनुसार लकड़ी, पत्थर, सोने, चांदी या पीतल जैसी धातुओं की मूर्तियां ही घर में रखनी चाहिए।

     घर का पूजा स्थान ईशान कोण यानी के पूर्व उत्तर के कोने में होना सर्वोत्तम बताया गया है। 

   इसके साथ ही पूजा कर लेने के बाद जली माचिस की तीली, मुरझाए हुए फूल, जली हुई धूप-दीप की बत्तियां और अन्य बिखरे हुए वस्तुओं और पदार्थों को पूजा स्थान से हटा देना चाहिए।










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