* क्यो महत्वपूर्ण है एकादशी व्रत *
भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत सभी व्रतों में बहुत ही महत्वपूर्ण और श्रेष्ठ व्रत बतलाया गया है। इस व्रत के करने से जातक की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं, और भगवान श्री हरि विष्णु की विशेष अनुकंपा और अनुग्रह प्राप्त होती है। यह व्रत प्रत्येक मास में 2 बार आती है। एक शुक्ल पक्ष में दूसरी कृष्ण पक्ष में।
इस तरह से 12 महीने के 1 वर्ष में 24 एकादशियाँ पड़ती है। जिनके अलग-अलग नाम, महत्व, फल, लाभ और प्रभाव है। किंतु जिस वर्ष अधिक मास यानी कि मलमास या पुरुषोत्तम मास होता है, उस वर्ष दो एकादशियाँ बढ़ जाती हैं। जिन्हें पद्मिनी और परमा एकादशी के नाम से जाना जाता है।
अधिक मास 3 साल में एक बार आता है इस वर्ष 2022 में अधिक मास नहीं है। इसलिए इस वर्ष 24 एकादशी ही की जाएंगी। शुक्ल एवं कृष्ण पक्षों के अनुसार एकादशियो में कुछ लोग भेद करते हैं किंतु ऐसा नहीं करना चाहिए।
कुछ विद्वानों का मानना है कि एकादशी व्रत दो प्रकार की होती हैं जिन्हें विद्धा और शुद्धा के नाम से जानते हैं।
दशमी तिथि से युक्त एकादशी विद्धा एकादशी कहलाती है जबकि सूर्य उदय कालीन एकादशी अर्थात द्वादशी युक्त एकादशी को शुद्धा एकादशी कहते हैं। यहां यह जानने का विषय है कि स्मार्तो का व्रत वैष्णव के व्रत से 1 दिन पहले होता है। सर्वसाधारण, गृहस्थों एवं साधकों को शुद्धा एकादशी का व्रत रखना श्रेष्ठ बताया गया है।
एकादशी व्रत के लाभ-
1- एकादशी व्रत से सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं।
2- दुर्भाग्य एवं बाधाओं से मुक्ति मिलती है
3- व्रत करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है
4- विवाह बाधा समाप्त होती है
5- आत्म शांति प्राप्त होती है
6- व्यक्ति निरोगी एवं स्वस्थ रहता है
7- पितरों को राक्षस भूत पिशाच आदि योनि से मुक्ति मिलती है
8- पित्र दोष दूर होता है
9- हर तरह के श्राप, पाप और विकार नष्ट हो जाते हैं
10- चिंताओं से मुक्ति मिलती है
11- कार्यों में सफलता प्राप्त होती है
12- संतान की प्राप्ति होती है
13- कोर्ट कचहरी एवं मुकदमा में सफलता प्राप्त होती है
14- शत्रु पराजित होते हैं
15- यश कीर्ति ऐश्वर्य एवं प्रसिद्धि बढ़ती है।
16- ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है
17- दुख दर्द दूर हो सिद्धियों की प्राप्ति होती है
18- मोह माया तृष्णा एवं अहंकार से मुक्ति मिलती है
19- खोया हुआ धन संपदा एवं वैभव वापस प्राप्त होता है
20- 11 वर्ष तक निरंतर एकादशी व्रत रखने वाले को वाजपेय एवं अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है।
वर्ष 2022 के समस्त एकादशियों के नाम तिथि और पक्ष कैलेंडर-
13 जनवरी गुरुवार (शुक्ल पक्ष)- पौष पुत्रदा एकादशी
28 जनवरी दिन शुक्रवार (कृष्ण पक्ष)- षटतिला एकादशी
12 फरवरी दिन शनिवार (शुक्ल पक्ष)- जया एकादशी
27 फरवरी दिन रविवार (कृष्ण पक्ष)- विजया एकादशी
14 मार्च दिन सोमवार (शुक्ल पक्ष)- आमलकी एकादशी
28 मार्च दिन सोमवार (कृष्ण पक्ष)- पापमोचनी एकादशी
12 अप्रैल दिन मंगलवार (शुक्ल पक्ष)- कामदा एकादशी
26 अप्रैल दिन मंगलवार (कृष्ण पक्ष)- वरुथिनी एकादशी
12 मई दिन गुरुवार (शुक्ल पक्ष)-मोहिनी एकादशी
26 मई दिन गुरुवार (कृष्ण पक्ष)- अपरा एकादशी
11 जून दिन शनिवार (शुक्ल पक्ष)- निर्जला एकादशी
24 जून दिन शुक्रवार (कृष्ण पक्ष)- योगिनी एकादशी
10 जुलाई दिन रविवार (शुक्ल पक्ष)- देव शयनी एकादशी
24 जुलाई दिन रविवार (कृष्ण पक्ष)- कामिका एकादशी
8 अगस्त दिन सोमवार (शुक्ल पक्ष)- श्रावण पुत्रदा एकादशी
23 अगस्त दिन मंगलवार (कृष्ण पक्ष)- अजा एकादशी
6 सितंबर दिन मंगलवार (शुक्ल पक्ष)- परिवर्तिनी एकादशी
21 सितंबर दिन बुधवार (कृष्ण पक्ष)- इंदिरा एकादशी
6 अक्टूबर दिन गुरुवार (शुक्ल पक्ष)- पापांकुशा एकादशी
21 अक्टूबर दिन शुक्रवार (कृष्ण पक्ष)- रमा एकादशी
4 नवंबर दिन शुक्रवार (शुक्ल पक्ष)- देवउठनी एकादशी
20 नवंबर दिन रविवार (कृष्ण पक्ष)- उत्पन्ना एकादशी
3 दिसंबर दिन शनिवार (शुक्ल पक्ष)- मोक्षदा एकादशी
19 दिसंबर दिन सोमवार (कृष्ण पक्ष)- सफला एकादशी